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कारीगर मत ना भटके रे

:::noteदोहा दौड़ सके तो दौड़ ले , जब लग तेरी दौड़
दौड़ थकी धोखा मिट्या , वस्तु ठौड़ की ठौड़ :::

  • कारीगर मत ना भटके रे
    मुसाफिर तू क्यूं भटके रे ।
    कर मालिक ने याद काम थारो ,
    कदे नी अटके रे ।

  • कारीगर पथर घड़े ,
    पथर में पायो छेद ।
    छेद माँहि कीड़ो जीवतो रे ,
    नहीं जीवण री उम्मीद ।
    के मुख माँहि दाणो लटके रे ,
    कर मालिक ने याद काम थारो ,
    कदे नी अटके रे ।
    कारीगर मत ना । …..

  • कारीगर किरतार ने रे ,
    भाई करवा लागो याद ।
    दौड़ बुढापो आवियो रे ,
    कदे नहीं भजियो राम ।
    भरोसे बैठो डटके रे ,
    कर मालिक ने याद काम थारो ,
    कदे नी अटके रे ।
    कारीगर मत ना । …..

  • जंगळ में मंगळ भया रे ,
    चरू मिल्या जमीं दोय ।
    भगत केवे भगवान ने रे ,
    बांधे क्यूं नहीं पोट ।
    घरे म्हारे क्यूं नहीं पटके रे ,
    कर मालिक ने याद काम थारो ,
    कदे नी अटके रे ॥ कारीगर मत ना । …..

  • चोरां ने चरचा सुणी भाई ,
    लीना चरू निकाळ ।
    कर्म हीन धन कैसे पावे ,
    धन का हो गया प्याळ ।
    बात चोरां ने खटके रे ,
    कर मालिक ने याद काम थारो ,
    कदे नी अटके रे ।।
    कारीगर मत ना । …..

  • चोरां चरू निकाळिया ,
    अरे लीना ढकण लगाय ।
    जा पटको उण दुश्मण पर रे ,
    काळ उसी को खाय ।
    दुश्मण मर जावे झटके रे ,
    कर मालिक ने याद काम थारो ,
    कदे नी अटके रे ॥
    कारीगर मत ना । …..

  • चोर चढ्या छत ऊपरे ,
    लीना छपर उगाड़ ।
    माधो कहे धन देवे दाता ,
    देवे छप्पर फाड़ ।
    कारीगर गिणले झटके रे ,
    कर मालिक ने याद काम थारो ,
    कदे नी अटके रे ॥
    कारीगर मत ना । …..