काछबो ने काछबी
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कलमपति काछब कुड़ी रे सावरा री रीत कुड़ी रे
भक्ति रो भेद नहीं पाये रे सावरो नेचे आयो रे || टेर || -
काछबो ने काछबी रहता समुद्र में दर्शन रुपी बाहर आया
आए संत रे चरणे पड़िया रे पकड़ झोली में धरिया रे || १ || -
हांड ी में घायल चुल्ले पर चढ़िया तले लगाईं आग रामजी रे
केवे काछबी सुणो काछबा कठे थारो सालग स्वामी मोत तो आग भरोणी रे || २ || -
केवे काछबो सुणो रे काछबी जलती वे तो आजा पीठ हमारी
में बणियो घोको नहीं रे हंसी राम री होसी || ३ || -
गढ़ गोकुल में सुता कोनजी मोड़ी सुनी पुकार
मारो भगत तो तो दुखी घणो रे मने जाणो रातो रात || ४ || -
उत्तर दिशा सु आई बादली झीणो वाजे वायरो
तीन तीनो री झुपड़ी रे उडी आकाशो में जाए
धनाधन इंदर गाजे रे पोणी री बूंदो बरसे रे || ५ || -
केवे काछबो सुणो रे काछबी आपणो जोड़ो अमर कियो रे
भगवान वाणी भोजो जी गावे रे टीकमजी आए पहचाणी रे || ५ ||