Skip to main content

कलयुग में

टेर

कलयुग में एक बार कन्हैया, ग्वाले बनकर आओ रे
आज पुकार करे तेरी गैया आकर कष्ट मिटाओ रे

  • जिनको मैंने दूध पिलाया वो ही मुझे सताते हैं
    चीर फाड़ कर मेरे बैठे मेरा ही मांस पकाते हैं
    अपनों के अभिशाप से मुझको आके आज बचाओ रे || १ ||

  • चाबुक से जब पीटी जाओ सहन नहीं कर पाती मैं
    उबला पानी तन पे फेंके हाय हाय चिल्लाती मैं
    बिना काल के तिल तिल मरती करुणा जरा दिखाओ रे || २ ||

  • काहे हमको मूक बनाया घुट घुट कर यु मरने को
    उस पर हाथ दिए न तूने अपनी रक्षा करने को
    भटक गई संतान हमारी रास्ता आन दिखाओ रे || ३ ||

  • एक तरफ तो बछड़े मेरे अन्न धनं को उपजाते हैं
    उसी अन्न को खाने वाले मेरा वध करवाते हैं
    हर्ष ज़रा तुम माँ के वध पे आके रोक लगाओ रे || ४ ||