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नरसी भगत रो भजन

टेर

सरवरीया री तीर खड़ी आ नेनी नीर बहावे है
मा का जाया वीर बिना कुन भात भरण ने आदे है

  • इक दिन मारो भोलो बाबुल अरब पति कहलातो थो
    ऊंचा ऊंचा महल मालिया नगर सेठ कहलाता थो
    अन धन रा भंडार भरिया था पार कोई नहीं पायो थो
    इन गिनती रा नोकर चाकर याद मने गणी आदे है || १ ||

  • लाड़ प्यार सु पली लाड़ली बड़ा घरा परणाई थी
    दान दायजो हाथी घोड़ा दास दासिया लाई थी
    सोना चांदी हिरा मोती घड़ा लाई थी
    बीती बाता याद कर जद हिवड़ो भर भर आवे है || २ ||

  • थारे भरोसे सेठ सावरा मारो बाबुल आयो है
    गोपी चन्दन ओर तन्दूर साधो ने संग लायो है
    घर घर मांगते फिरे मारो मान घटायो है
    डूब मारुला घर नहीं जाओ नैनी यु फरमावे है || ३ ||

  • और सगा रे मेण मालिया टूटी छप्परि नरसीरे
    और सागा रे सीरख पातरणा फ़ाति गुदड़ी नरसी रे
    और सगा रे खटरस भोजन सूखा टुकड़ा नरसी रे
    देवर नारोनिचो मौसा बोले नणदल जीव जतावे है || ४ ||

  • किसी गाँव सु आया हो थे किणरा हो मेहमान जी
    हाट भरण ने नैनी बाई रो जानो नगर अजार जी
    नैनी बाई मारी धर्म बेन है साँवरियो फरमावे है || ५ ||

  • वीकल होय ने नैनी बाई सावरिया ने कियो
    राधा रुक्मण संग लेईने सेठ सावरो आयो है
    सोना चांदी हीरा मोती गाड़ा भर भर लाया है
    सावरिया ने देख बावली बातो में विल्मावे है || ६ ||

  • सावरिया ने याद कियो जड़ सारा दुखड़ा दूर हुआ
    रंग आपवो स्वाति न्याति घर घर आनंद हुआ
    छप्पन करोड़ रो भरियो माहरो दास राम गुण गावे है || ७ ||