साँसों का क्या
टेर
साँसों का क्या भरोसा, रुक जाए चलते चलते - २
जीवन की है ये ज्योति, बुझ जाए चलते चलते - २
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जीवन है चार दिन का, दो दिन की है जवानी
जब आएगा बुढ़ापा, थक जाए चलते चलते || १ || -
समझा ना तू इशारा, समझा ना खेल इनका
क्यों तेरी बात बिगड़ी, हर बार बनते बनते || २ || -
तेरी साथ जाए रजनी, तेरे कर्मो की कमाई
गए जग से बादशाह भी, युही हाथ मलते मलते || ३ || -
अब तक किया न सोनू, अब तो हरी सुमिरले
कह रही है जिंदगी की, ये शाम ढलते ढलते || ४ ||