मोहन भोग लगाओ ए जशोदा
टेर
मोहन भोग लगाओ ए जशोदा *२
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सिया राम वर लक्ष्मण भरत शत्रुहन चारो ही बैठ जीमवो रो, मोहन। .......
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लाडू पेड़ा सरस जलेबी अपने हाथ जिमाओ रे मोहन। .......
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गंगा जल जारी भर लाओ आचमण कराओ रे मोहन। .....
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लोंग, सुपारी पान रा बिड़ला अपना हाथ चबाओ मोहन। .....
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मीरा के प्रभु गिरधर नागर हरी चरणों चित आओए मोहन। .....