कुंपो रा नीर
टेर
कुंपो रा नीर किंण विद सूखे ओ
हे सीर सहेलिया सु आवे ओ गुरूसा बिन कुण मने प्रेम जल पावे ओ
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कर्मा री झाजा दो प्रकाश शुभ अशुभ कहावे
अशुभ कर्म ने मार भगावे ओ गुरूसा बिन कुण मने प्रेम जल पावे ओ || १ || -
सतगुरु म्हारा चन्दन सामान वन में वासन लेवे
लिपटियोडा भुजंग मगन होये जावे कड़े नई छोड़ कर जावे ओ गुरूसा बिन कुण मने प्रेम जल पावे ओ || २ || -
सतगुरु म्हारा भंवर स्वरूपी जी कीट पकड़ने लावे
दे गुलजारी सबद सुणावे जी होय भंवर उड़ जावे ओ गुरूसा बिन कुण मने प्रेम जल पावे ओ || ३ || -
दूध माय धीरत मेहंदी माय लाली प्रेम गुरूसा सु आवे ओ
कहत कबीर सुणो रे भाई साधो ज्ञान गुरूसा सु आवे ओ गुरूसा बिन कुण मने प्रेम जल पावे ओ || ४ ||