पिंजरीयो मनवा काई निरखे
टेर
पिंजरीयो पिंजरीयो मनवा काई निरखे
संता भेळो चाल ऊठे इमरत बरसे
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अरे साधा भेळो चाल उठे इमरत बरसे
अरे हाड मास रो बनियो पिंजरों ऊपर लगाईं माटी
थारे गोरा सा मुखड़ा ने बाँदा काई निरखे || १ || -
अरे इन पिंजरीये में बैठो मनवो दुखड़ा आप सुणावे
थारी मारी करता मनवा उमर बीती जावे
थारे अगले रस्ते ने थोड़ो साफ़ करले || २ || -
अरे इन पिंजरीय में बैठो मनवो कदर आप नहीं जाणे
अरे खाट ऊपर पड़ियो खेला कोई नहीं पाणी पावे
थारी कंचन री काया ने बाँदा साफ़ करले || ३ || -
अरे इन पिंजरिया में बैठो पंछी आयो काल रो हेलो
अरे कहत कबीर सुणो भाई साधो रह गया भीतर कंवारो || ४ ||