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हरी जी की लीला

टेर

हरी थारी लीला अपरम्पार, ज्यामे म्हारो पोछे नहीं रे विचार
ज्यामे म्हारो पोछे नहीं रे विचार, हरी थारी लीला अपरम्पार

  • हरी है वर तमे का हाथोडे घडियो घाट नो घड़ नार जी
    कीड़ी ना औतरा केमकर घड़िया सपटी नो सर्जन हार || १ ||

  • अणु अणु में बल सकेचियो ज्या नो मुख उगाड़ी मुरार राम
    मोर न इंदा में रंग मोहन जी केम पुरियो करतार || २ ||

  • प्रतियेक प्राणी माय ईश्वर थारो माछे छे भणकार राम
    काग कवी एम बोलिया माने अजेयन आयो इत्हार || ३ ||