सावरे की दया है बड़ी
टेर
सावरे की दया है बड़ी मौज करते हैं हम हर घडी
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हमने मांगी थी दो चार खुशियां उसने सुख की लगा दी झड़ी || १ ||
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सुख की पुरवाई चैनल लगी धुप दुःख वाली ढलने लगी
सावरे महल है शीतल झोपडी मौज करते हैं हम हर घडी || २ || -
शाम का जब सहारा मिला जबसे है श्याम प्यारा मिला
था जो तूफ़ान मझधार में वो भी बांके किनारा मिला
उसकी सीधी नजर जो पड़ी मौज करते हैं हम हर घडी || ३ || -
शुक्रिया श्याम सरकार का रखा चाकर जो दरबार का
श्याम हो जिसका मालिक उसे शक्तियां उसके संग कड़ी || ४ ||