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सपने में सखी देखया नन्द गोपाल

टेर

सपने में सखी देखया नन्द गोपाल देख्यो नन्द गोपाल
सावली सुरतिया हाथ में बंसुरिया और घुंघराले बाल

  • वृन्दावन री कुञ्ज गलियां में भागतो दौड़तो देख्यो सखीरी
    थे भागतो दौडतो देखियो जंगल बीच में गैया चरावतो काँधे ऊपर साल || १ ||

  • लुकतो छिपतो पनघट ऊपर
    सबरी मटकिया फोड़े सखी री वो तो सबरी मटकिया फोड़े || २ ||

  • मारे सागे कृष्ण कन्हैया लुक मीचणी खेले सखी री
    वो तो लुक मिचणी खेले जड़ मन पकड़ियो कृष्ण कन्हाई में तो हो गई नयाल || ३ ||

  • घर घर जावतो माखन चुरावतो मैं तो हो गई निहाल
    सपने में सखी देखया नन्द गोपाल देख्यो नन्द गोपाल || ४ ||