आच्छी पाई ओ गुरूसा
टेर
आछी पाई ओ गुरूसा माने ज्ञान गुटकी
ज्ञान गुटकी ओ शब्दों री गुटकी
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राम नाम री वाणी में तो पेला ही गिटकी
सतगुरु हाथ धरियो सिर ऊपर चिंता ही मिटगी || १ || -
अनंत जन्म री भूल भ्रमता भव - भव है भटकी
अब तो वृति अंदर लागी बाहिर सु हटकी || २ || -
लख चौरासी पापो री में भरली रे मटकी
सतगुरु देव दया के दाता मटकी ही पटकी || ३ || -
राम दास गुरु पूरा मिल्या दिवी सेन सातकी
सिमरथ राम गुरु कृपा से चौरासी काटगी || ४ ||