शिव रे
टेर
गौरी गौरी नदिया नाव पुराणी केवटियो नादान ओ
में तो डूब जाती ओ मारा सतगुरु पकड़ियो हाथ
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शिव रे जटा में गंगा बिराजे
गंगा बेवे भरपूर हो, मैं तो। ..... || १ || -
शिव रे हाथों में त्रिशूल विराजे
डमरू बजे दिन रात हो, मैं तो। …. || २ || -
शिव रे कमर में बाघाम्बर विराजे
भभूत लगावे दिन रात हो, मैं तो। …. || ३ || -
शिव रे बगल में गौरा विराजे
भीलणी नचावे दिन रात हो, मैं तो। …. || ४ || -
शिव रे बैठण ने नंदी विराजे
घुंघरू बजावे दिन रात हो, मैं तो। …. || ५ || -
शिव रे गोदी में गणपत विराजे
गोदिया खेलावे दिन रात हो, मैं तो। …. || ६ ||