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सीताराम जी की प्यारी राजधानी लागे

टेर

सीताराम जी की प्यारी राजधानी लागे.. राजधानी लागे
मोहे मीठो मीठो सरयू जी को पानी लागे....

  • धन्य कौशल्या, धन्य कैकेई, धन्य सुमित्रा मैया,
    धन्य भूप दशरथ जी के आंगन, खेलें चारों भैया,
    मीठी तोतली रसीली प्रभु की बानी लागे, प्रभु की बानी लागे
    मोहे मीठो-मीठो सरयू जी को पानी लागे || १ ||

  • छोटी छावनी, रंग महल, हनुमान गढ़ी अति सुन्दर,
    स्वयं जगत के मालिक बैठें, कनक भवन के अंदर
    सीताराम जी की शोभा सुखखानी लागे,
    मोहे मीठो-मीठो सरयू जी को पानी लागे. || २ ||

  • सहज सुहावनि जन्म भूमि, श्री रघुवर राम लला की,
    जानकी महल सुचि सुंदर शोभा, श्री लक्ष्मण जू के किला की
    यहां के कण कण से प्रीति पुरानी लागे, हां पुरानी लागे....
    मोहे मीठो-मीठो सरयू जी को पानी लागे || ३ ||

  • जय सियाराम दंडवत भैया, मधुरी बानी बोले,
    करे कीर्तन संत मगन मन, गली-गली में डोले
    सीताराम नाम धुन प्यारी मस्तानी लागे, मस्तानी लागे
    मोहे मीठो-मीठो सरयू जी को पानी लागे || ४ ||

  • प्रभु पद प्रेम प्राप्त करते सब, पीकर श्री हरि रस को,
    तेरे भक्त रहें नित निर्भय, फिकर कहो क्या उनको जिनको मात पिता रघुनाथ,
    सिया महारानी लागे
    मोहे मीठो-मीठो सरयू जी को पानी लागे || ५ ||