खिचड़ी भोग
टेर
म्हरा सँवारा गिरधारी खिचड़ी खाले रे बनवारी
करमा विनती कर कर हारी बेटी जाट की ओ बेटी जाट की
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बाबो दूजो गाँव सिधारो थारो मन्दिरो समलायो सारा पूजा ढंग सिखायो बेटी। ..... म्हारा। ….
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बेटी तड़के उठकर आई म्हारा गिरधर ने नवाबू ऊंचा आसन पर बिठाऊ बैटी। ........ म्हारा। .....
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जड़ कर मंदरियो मे ताली करमा गीत गावती चली लाई खीचड़लो भर थाली बेटी। ...... म्हारा। ......
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सवेरे छाछ राबड़ी लाई, मीठि गुदली खीर बनाई उठकर भोरा भोरा जिमाऊ, बेटी। ...... म्हारा। ….
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म्हारी भूल बताओ सारी थे क्यू रूढा कुन्ज बिहारी माने गाल्या पडसी खारी, बेटी। ...... म्हारा। .....
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बाबो बार गॉव सु आसी, म्हाने मुक्का सु धमकसी करमा आंसुड़ा दलकासी, बेटी। ..... म्हारा। .....
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आठो गर्दन काट चढाऊ, या मे जहर खाय मर जाऊँ तो भी आज जिमाऊ, बेटी। …. म्हारा। .....