सुगणा रे उभी डागलिये
टेर
सुगणा रे ऊभी डागलिये नैणा में ढलके नीर -२
लेवण आवो वीर रामदेव थे हो जग में पीर -२
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आवण - जावण कह गया रे आई रे सावणिया री तीज -२
दर्शन प्यासी सुगणा बाई होवे है आधीन रे || १ || -
बारहे वर्षा सु पीवर सांरु लाग रही अडीक रे
अजमल जी रा कँवर लाडला नैना ऐ बरसे नीर रे || २ || -
राखडी पूनम री बीरा जग में अमर रीत रे
रीत निभानी पड़सी थाने आय बँधावो धीर रे || ३ || -
रामदेव जी रो ब्याव रच्यो मेणा दे रे मन में प्रीत रे
लाछा बाई आई रे म्हारी सुगणा क्यों नहीं आई रे || ४ || -
आया रुण िचे सुगणा बाई लाया है महावीर रे
अन्यायी रो नाश होयो जद वे न्यायी री जीत रे || ५ ||