Skip to main content

म्हणे घोड़लियो मंगवाय

:::noteदोहा बालपणा में रामदेवजी मन में एक विचारी
मनडे भायो घोड़लो में चढ़ने करू सवारी :::

टेर

म्हणे घोड़लियो मँगवाय मारी माँ मने घोड़लियो मँगवाय
घोड़े चढ़ ने घुमण जासु घोड़लियो मँगवाय मारी माँ

  • बालपणा में रामदेवजी हाथ कीनो हद भारी जी
    कैसो हठ कीनो रे बालक सोच रही मान थारी जी
    कीकर इणने मैं समझाऊ लाग रही मन में चिंता || १ ||

  • मैणादे सुगणा रे साथे दरजी ने बुलवायो
    रामदेव रे खातिर कपड़े रो घोड़ो बणवायो
    दरजी मन में लालच कीनो भीतर बोध भरायो || २ ||

  • रंग रंगीलो नेनो घोड़ो बालक रे मन में भायो
    लीनी हाथ लगाम रामजी मन ही मन मुस्कावे
    एड़ी लगाई घोड़लिये रे रामदेव आकाश उड़ाया || ३ ||

  • जादू रो घोड़लियो मारे दरजी घड़ ने लायो
    माता पिता मन में घबरावे दरजी कैद करायो
    दरजी विनती करवा लागो रामदेव जी कष्ट हराय || ४ ||

  • दरजी ने पर्चो दिखलायो रामदेव अवतारी
    दास अशोक सुनावे बाबा सुणलो अरज मारी
    हिवड़ा में संतोष दिरावो राम रूणिचा रा धणिया || ५ ||