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आ रिम झिम करती भीलणी

टेर

आ रिम झिम करती भीलणी कठीन छाले रे, शंकर बैठे कैलाश में बठी न चाले रे

  • शंकर भोले जमा के गोले बैठे थे हरी ध्यान में
    रिम झिम रिम झिम पायल की झंकार पड़ी है कान में
    रूप देखकर दंग हुए शिवजी सुध बुध खो डाली रे || १ ||

  • शंकर सुणो भीलणी, आओ पास हमारे
    इस तन मन की बनो मालकिन, हम हैं पास तुम्हारे
    कोई बात सु डर मत, करा थारी मैं रखवाली || २ ||

  • कहे भीलणी सुनो सदा शिव, भंवर भील म्हारे घर में
    बीने मार कर मने लेजाजो,चरचा होव घर घर में
    बैठ हरी का ध्यान धरो, शिव दे दे ताली रे || ३ ||

  • कहे सदाशिव सुनो भीलणी, तू मत दर थारे मन में
    जटा मुकुट में तने छिपालु, मालुम पड़सी किनै
    कोई बात सु डर मत कर, थारी म्हे रखवाली रे || ४ ||

  • थाके घर में गोरी पार्वती, जाता में गंगा बहावे
    अपना हक़ न छोड़ सदाशिव म्हनै क्यूँ घटा देव
    नित की होव लड़ाई, घर में दे दे ताली रे || ५ ||

  • गोर पार्वती ने पीहर भेज दू, सुनो भीलणी राणी
    गंगा करे थारी चाकरी, तू घर की पटराणी
    तीन लोक की तने बनाऊ में पटराणी रे || ६ ||

  • बैल चढ़ तो डरु सदाशिव, सिंह देख भय लागे
    पाली तो में कभी ना चालु, सच कहूँ थारे आगे
    बोले शंकर आवोनी, पीठ हमारी है रे || ७ ||

  • इतनो कब कुछ देख भीलणी माया अपनी हटाई
    सामे ऊबी हंसी गोरजा, शंकर गये शरमाये
    भीलणी बनकर म्हाने छलिया, अब थारी बारी रे || ८ ||

  • भीलणी बनकर शंकर छलिया, भोलेनाथ नचाया
    हे जगदम्बे तेरी माया का पार ना कोई पाया
    साधोसिंह कहे शिव शक्ति, म्हारी तू रखवाली रे || ९ ||