ग्यारस माता से मिलन
टेर
ग्यारस माता से मिलन कैसे होय खिड़की तो सातो बंद पड़ी
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पैली खिड़की खोलके देखि उसमे अंधेर
मैं ये नहीं सोचा मेरे श्याम दिया तो बाती क रती चलूँ || १ || -
दूजी खिड़की खोल के देखी उसमे कपिला गाय
मैंने ये नहीं सोचा मेरे श्याम सेवा तो इसकी करती चलूँ || २ || -
तीजी खिड़की खोल के देखी उसमे गंगा जमुना
मैंने यु भी ना सोचा मेरे श्याम डुबकी तो मैं मारती चालूँ || ३ || -
चौथी खिड़की खोल के देखी उसमे काना आप
मैंने ये नहीं सोचा मेरे राम चरण इनके धोती चलूँ || ४ || -
पांचवी खिड़की खोल के देखी उसमे तुलसा का बिड़ला
मैंने ये नहीं सोचा मेरे श्याम की तुलसी का बिड़ला सींचती चलूँ || ५ || -
छठी खिड़की खोल के देखी उसमे गुरूजी आप
मैंने कर लिया गुरूजी का ध्यान खिड़की तो सातों खुल ही गई || ६ || -
सातवीं खिड़की खोल के देखी उसमे ग्यारस माता
मैं तो हो गई भाव से पार खिड़की सारी खुल ही गई || ७ ||