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बिगड़ी कौन सुधारे

टेर

बिगड़ी कौन सुधारे नाथ बिन बिगड़ी कौन सुधारे रे

  • बनी बनी का सब है साथी बिगड़ी का कोई नहीं रे
    भरी सभा में लज्जा राखी दीनानाथ गुस्से रे || १ ||

  • एक समय रावण की सुधरी सोने की लंका पाई रे
    देखत देखत उनकी बिगड़ी बैरी हो गया भाई रे
    सब परिवार मराई रे || २ ||

  • एक समय हरिश्चंद्र की सुधरी सुवर्ण छात्र फिराई रे
    देखत देखत उनकी बिगड़ी मशाने में चीर फडाई रे
    हातो बीच बिकाइ रे || ३ ||

  • एक समय पांडव की सुधरी झूठी पातळ उठवाई रे
    देखत देखत उनकी बिगड़ी गोपियन काबा लुटवाई रे
    लाज नहीं बच पाई रे || ४ ||

  • एक समय गोपियन की सुधरी तो बीच कुंवर कन्हाई रे
    देखत देखत उनकी बिगड़ी छोड़ चले यदुराई रे
    द्वारिका जाय बसाई रे || ५ ||

  • नेम धरम की नाव बनाई समंदर बीच तिराइ रे
    धर्मी धर्मी पार उतरिया पापी नाव डुबाई रे || ६ ||

  • कड़वी बोल री कड़वी तुम्बडिया सब तीरथ कर आई रे
    घाट घाट को जल भर लाइ अजहुँ न गई कडवाई रे || ७ ||

  • पांच तत्व की चुंदड़ी अमोलक चुंदड़ी रे दाग लगाईं रे
    नाथ जालंधर गुरु हमारा गोरखनाथ जस गए रे || ८ ||