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थारी चुनडली रो चटको दिन चार

टेर

थारी चुनडली रो चटको दिन चार ,
पुराणी पड़सी चुनडली।

  • आख्या सु सूझे नहीं रे ,
    सुणे नहीं दोनु कान।
    दांत बतीसी बाहर आ गई ,
    बिगड़ी चुनडली री शान।
    थारी चुनडली रो चटको दिन चार ,
    पुराणी पड़सी चुनडली। टेर। …

  • सळ पड़िया शरीर में रे ,
    अब तो भज भगवान।
    रंग गुलाबी उड़ गयो रे ,
    बिगड़ी चुनडली री शान।
    थारी चुनडली रो चटको दिन चार ,
    पुराणी पड़सी चुनडली। टेर। …

  • सुध बुध भूल्यो शरीर री रे ,
    थोड़ो भावे धान।
    डगमग डगमग नाड चाले ,
    क्यों तू भूल्यो भगवान।
    थारी चुनडली रो चटको दिन चार ,
    पुराणी पड़सी चुनडली। टेर। …

  • खाले पीले और खर्च ले ,
    कर चुनड़ी रो मान।
    प्रतापगिरि यु कहे बंदा ,
    लागे गुरूजी रो ज्ञान।
    थारी चुनडली रो चटको दिन चार ,
    पुराणी पड़सी चुनडली। टेर। …