श्री कृष्ण लीला
सरस्वती सिवरू शारदा गणपत लागू पाँव
देवकी के घर बाला जनमिया, वासुदेवजी ने दर्शन दीना ||
भादो वद अँधेरी रात रोहणी नक्षत्र आधी रात |
वार कहिजे बड़ बुधवार उग्या चाँद बजाओ थाल ||
कहे देवकी सुणो वासुदेवजी मानो म्हारी बात |
ये बाला गोकुल का वासी बेगो देओ पहुंचाय ||
सिर पर धरियो पालनो माये कृष्ण मुरार |
ले वासुदेव जी निसरिया जमना बहावे अपार ||
पीताम्बर आगा कार्या चरण दिया छुपाय |
दर्शन कर प्रसन्न हुआ गया नन्द के द्वार ||
जसोदा माता आनंद भये झटके आई बाहर |
हंस कर कवर गोद में लीन्हो आँचल खोल जशोदा दीनो ||
धन्य दयालु धन्य घडी धन धन मोटा भाग
देओ बधाई नन्द के घर आये कृष्ण मुरार
सुण नंदजी आनंद भये मगन गए अपार
ये बाता जन्म्या शिभ घडी घणा बंधासी मान
हीरा मोती बोगाणा कंचन का देसी दान
हाथ जोड़ पैया पड्या सख्या विप्रा का मान
इतरी सुनकर नायण आई बहुतेरी बांदर माणा लाई
पहली बाँधी ओबरे दूजी चन्दन साल
तीजी राम रसोड़े चौथी ठाकुर के द्वार
गोरी झूले पालणे झूले कृष्ण मुरार
सात सहेलिया मंगल गावे बहन सोदरा वीर हुलरावे
घूम हिंजड़ा पातर नाचे नंदजी के घर नोपत बाजे
पांच बरस का हुआ जी बाला जसुमति का माने नहीं कहना
चन्दन चटियो डावे हाथ, रमवा चाल्या ग्वालो के साथ
ग्वाला छोड़ अकेला भाग्या लारे लालजी चालण लाग्या
एक समय मारो कवर कन्हैया छोटे बालक जमना जावे
खेलत खेलत मन में आई थोड़ी सी वो मिटिया खाई
ग्वाला दिनी चुगली खाय सूण ए कान्हा कंवर की माय
तेरो लालो मिटिया खाय बेग चले तो डेउ बतलाय
क्यों रे मोहन मिटिया खाय मिटिया का निस्तार बताय
चन्दन चीटियों डावे हाथ रईस भरया कोई बोले ए माय
कान्हा कहे सुन मेरी मैया टाबर का मानो मत कहना
झूठी चुगली मेरी खाय ले चीटियो मारन ने आय
इन चुगली को काटू सार, फिर होव मेरो निस्तार
और तने भावे सोइ खाय, मिटिया का निस्तार बताय
लाडू पेड़ा खुरमा चोखा, घेवर छाँटिया घणा अनोखा
मगध इन्दर सा खाजा खीर, दूध बताशा पीओ बलदाऊजी का वीर
ठाठ बाट और गूंजा ठोर, बर्फी कलाकंद मीण ठोर
और धरु तने पेठा चोखा जिमोजी नंदजी का लाल
राम खिचड़ी चावल दाल ऊपर घालु घी री नाळ
बनियो चूरमो बहु मिस्ठान माखन मिश्री भूरा भात
सीरो लापसी करण कसार, बानी लापसी घनी सवाद
पूड़ी पकोड़ी पुआं मीठा सबसे लागे डोयन मीण
सेव कचोरी भुजिया दाल साकर पारा घाना सवाद
पापड पोला खीचिया तलिया साखा खेलरा बनिया अनोखा
आल काकड़ी गोभी मतीरा रो साग तोरु टींडसी कोलो स्वाद
आलू है भिंडी बालोड़ बेला रो खाटो सांगरी पितोड़
केर करेली पापड़ बड़ी बैंगन लाल रो चन्द्रलाई हरी
बोर मोगरी गांदल हरी शकरकंद थाली में धरी
मूली पालको बथुओ चोखो मेथी को साग बनियो अनोखो
आधो निम्बू मिरच अथानों मीठो लागे आमलवानो
काचा केला पाकी दाख आम झमेरी नारंगी की फांक
हरी झमेरी लाल अनार मीठी लो खरबूजे की फांक
गुंदी दासरिया गुटका खाओ सातु सीताफल भोग लगाओ
चपड़ो सठेली मखान सांठो ओ प्रसाद बिरज में बांटो
धानी भूंगला परमल चोखा मक्की का फ़ुलिआ बना अनोखा
सिट्टो मकियो यो तो परखो कांजो लागे सबसे चरको
खाटी छाछ मठुणी रोटी ये तो चीजा बनी अनोखी
जितरे मोहन ऐसी कही ल्याय धरो मान मोलो दही
ओर थाने भावे सो ही खाय मटिया का निस्तार बताय
मटिया आगे औगण करे इन बाता सु म्हारो जीव डरे
कान्हो दिनो मुखडो फाड़ मुख में दिखे सब संसार
मुख में दिखे तीन त्रिलोक सूरज की दिखे इन्द्राणी
मुख में दिखे राधा रानी वह जमुना को बहावे पानी
मुख में दिखे परम धाम कोटि देवता करे प्रणाम
मुख में दिखे लक्ष्मी माय श्याम सुन्दर का ह्रदय माय
मुख में दिखे देवकी माय कृष्ण चंद्र ने लियो हुलराय
मुख में दिखे वासुदेव जी ले पालणो गोकुल में जाय
मुख में दिखे बाबा नन्द सैंस ग्वाला गाया संग
मुख में दिखे जसोदा माय ले चुटियो मारण ने आय
मुख में दिखे सखियाँ साड़ी गोकुल की दिखे नर नारी
मुख में दिखे गंगा माय त्रिवेणी हिलोड़ा खाय
मुख में दिखे काशी प्रयाग वासग राजा कालो नाग
मुख में दिखे कालो नाग करे कीलोना कृष्ण मुरार
मुख में दिखे समंदर सात, अटका पूरी श्री जगन्नाथ
मुख में दिखे शिव महादेव जाँकि कर रही दुनिया लेव
मुख में दिखे सेंस ग्वाल, धन छो जी नंदजी का लाल
धन मेरा पुत्र धन मेरा लाल नो लख तारा दिखे रे चाँद
आया गजानंद हुआ सही देख जसोदा अचरज भई
छोडो रे जाया आल जंजाल भाव सागर से उतरु पार
छप्पन भोग बनिया तैयार जीमोजी नंदजी रा लाल
माखन मिश्री भूरा भात तुलसी दल में देऊ पधराय
राधा कृष्ण जी भोग लगाओ सब दुनिया को पेट भराओ
सोना की झारी गंगा जल नीर आचरण करो बलदाऊजी का वीर
काथो चूनो पान सुपारी बिड़ला चाबो कृष्ण मुरारी
फुलड़ा का हार बनिया तैयार पहरो जी नन्द जी रा लाल
सोना की झारी जड़ाऊ का पासा खेलोजी नन्द जी रा लाल
फुलड़ा की सेज बानी तैयार पोढोजी नंदजी का लाल
श्याम सुंदरजी पोढ़िया जाय राधा रूकमण चापे पाँव
पवन देवता पंखा ढोले उद्धवजी ऊबा चंवर ढुलावे
सात सहेलिया मंगल गावे नारद ऊबा वीणा बजावे
आ लीला प्रभातियाँ गावे नारायण का दर्शन पावे
आ लीला दोपहरा गावे छतीसा का भोग लगावे
आ लीला सींझा का गावे नारायण की आरती गावे
आ लीला आधी राते गावे फुलड़ा छाई सेज बिछावे
आ लीला ग्यारस ने गावे जनम मरण ने फिर नहीं आवे
आ लीला रोजाना गावे अन धन लक्ष्मी सदा सुख पावे
सोना को थाल कपूर की बाटी आरती उतारे यशोदा माई