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पियाजी री वाणी मत बोल

दोहा

प्रीतम प्रीत लगाय के , तुम दूर देश मत जाय ।
बसो हमारी नगरी में , हम मांगे तुम खाय ॥

  • जो कोई पियाजी री प्यारी सुणे रे ,
    देवे थारी चोंच मरोड़ ।
    पपइया , पियाजी री वाणी मत बोल ॥

  • चोंच कटाऊं , पपइया थारी रे ,
    ऊपर घालू लूण ।
    पिवजी म्हारा मैं पिया री ,
    थू कुण केवण वालो पपइया ,
    पियाजी री वाणी मत बोल ॥

  • थारा वचन सुहावणा रे ,
    पिव – पिव करे है पुकार ।
    चोंच मढाऊं थारी सोवणी रे ,
    थू म्हारे सिर रो मोड़ पपइया ,
    पियाजी री वाणी मत बोल ॥

  • म्हारा पियाजी ने पतियां भेजूं रे ,
    सुध – बुध लेवण आय ।
    जाय पियाजी ने यूं कहिजे रे ,
    ब्रेहणी धान न खाय पपइया ,
    पियाजी री वाणी मत बोल ॥

  • मीरांदासी व्याकुल भई रे ,
    पिव – पिव करे है पुकार ।
    बेगा मिलो रे म्हारा अन्तर्यामी ,
    तुम बिन रयो नहीं जाय पपइया ,
    पियाजी री वाणी मत बोल ।।