Skip to main content

श्री गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पारवती पिता महादेवा

एक दन्त दयावन्त चार भुजा धारी
मस्तक पर तिलक सोहे मूसे की सवारी

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लडुअन का भोग लगे संत करे सेवा

अन्धन को आँख देत कोढ़ियन को काया
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया

सूर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा, जय गणेश। ….

दीनन की लाज राखो शंभु सुत वारी
कामना को पूरा करो जग बलिहारी

जो तेरा ध्यान धरे ज्ञान मिले उसको
छोड़ तुझे और भला मैं ध्याऊँ किसको

हे देव कृपा करो कष्ट हरो मेरा, जय गणेश। …